Dry Fruit Market : भारत में इस जगह है ड्राई फ्रूट्स की सबसे सस्ती मार्केट, यहां 30-40 रुपये किलो में बिकते हैं काजू-बादाम
आम तौर पर काजू-बादाम जैसे ड्राई फ्रूट्स (dry fruits) को हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन महंगाई की वजह से ये आम लोगों की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। बाजार में इनकी कीमतें इतनी ज्यादा

जामताड़ा (झारखंड) | आम तौर पर काजू-बादाम जैसे ड्राई फ्रूट्स (dry fruits) को हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन महंगाई की वजह से ये आम लोगों की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। बाजार में इनकी कीमतें इतनी ज्यादा हैं कि एक किलो खरीदना भी जेब पर भारी पड़ जाता है। लेकिन झारखंड का एक ऐसा जिला भी है, जहां ये ड्राई फ्रूट्स आलू-प्याज़ के रेट में बिकते हैं।
हम बात कर रहे हैं जामताड़ा (Jamtara) की, जिसे लोग अब ‘काजू नगरी’ के नाम से भी जानने लगे हैं। यहां आने वाले लोग झोले भरकर काजू-बादाम (cheap kaju badam in India) खरीदते हैं और कई बार अपने शहर में ले जाकर इन्हें बेचते भी हैं।
इतना सस्ता क्यों है यहां ड्राई फ्रूट्स का मार्केट?
जामताड़ा के नाला गांव और आसपास के इलाकों में बड़े पैमाने पर काजू की खेती (kaju farming in Jharkhand) होती है। करीब 50 एकड़ से ज्यादा जमीन पर काजू के बागान हैं, जिनमें हर साल हजारों टन काजू की पैदावार होती है।
इन बागानों में काम करने वाले स्थानीय लोग खुद ही सड़क किनारे छोटे-मोटे ठेलों और दुकानों पर काजू-बादाम बेचते हैं। यहां 30 से 40 रुपये प्रति किलो (dry fruits price in Jamtara) तक के रेट में काजू मिल जाते हैं।
जिन किसानों के पास प्रोसेसिंग की सुविधा नहीं है, वे बिना किसी मिडिलमैन के सीधे ग्राहकों को ये मेवे बेच देते हैं। यही वजह है कि कीमतें इतनी कम रहती हैं।
लोकल लेवल पर नहीं है प्रोसेसिंग, किसानों को मिलते हैं कम दाम
झारखंड के संथाल परगना इलाके में दुमका समेत कई जिलों में भी काजू की खेती होती है, लेकिन एक बड़ी कमी है – यहां पर अभी तक कोई बड़ा प्रोसेसिंग प्लांट (cashew processing plant) नहीं बना है।
कच्चे काजू की प्रोसेसिंग के लिए किसानों को बाहर भेजना पड़ता है, जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है और फसल के सही दाम नहीं मिल पाते। ऐसे में वो लोकल मार्केट में ही कच्चे या हल्के प्रोसेस्ड काजू-बादाम सस्ते में बेच देते हैं।
बाहर से आकर खरीदते हैं लोग, बढ़ रही है मार्केट की डिमांड
इस अनोखी ड्राई फ्रूट मार्केट की खबरें अब दूसरे राज्यों तक भी पहुंच चुकी हैं। कई लोग जामताड़ा आकर थोक में काजू-बादाम खरीदते हैं और इन्हें अपने शहरों में रीसेल करते हैं।
कई छोटे व्यापारी इसे एक फायदे का सौदा मान रहे हैं क्योंकि यहां से सस्ते दामों में माल लेकर अच्छी कमाई की जा सकती है।